AK VS AK फ़िल्म रिव्यू डायरेक्टर और एक्टर का महासंग्राम
AK VS AK फ़िल्म रिव्यू डायरेक्टर और एक्टर का महासंग्राम
बात करते हैं नेटफ्लिक्स की AK VS AK की , लड़ाई एकदम टक्कर की है। फ़िल्म में दिमाग से चालाक लेकिन थोड़ा सनकी फिल्म डायरेक्टर है। जिसका नाम तो मशहूर नहीं है लेकिन काम 100% जबरदस्त है, तो दूसरी तरफ फेमस फिल्मी परिवार का सुपरस्टार किसी समय में फिल्म इंडस्ट्री पर राज करता था! लेकिन अब स्क्रीन पर वापस लौटने का मौका तलाश रहा है।
होता कुछ यूं है की एक AK का सामना दूसरे AK से हो जाता है दोनों का घमंड और खुद को सामने वाले से बेहतर साबित करने की जिद मैं कैमरा के सामने गर्मा गर्मी और तमाशा बन जाता है। लेकिन लड़ाई सिर्फ इन दोनों तक लिमिटेड नहीं है सवाल इससे कई गुना बड़ा और इंपॉर्टेंट है आखिर एक सक्सेसफुल फिल्म का क्रेडिट किसको जाना चाहिए एक डायरेक्टर को या फिर एक एक्टर को आखिर कौन है जिसके लिए ऑडियंस थिएटर तक भागी भागी जाती है।
इसकी रेस में खुद को विनर बनाने के चक्कर में पागल सनकी डायरेक्टर , एक्टर साहब बेटी सोनम कपूर को किडनैप कर लेता है यहां से शुरू होती है एक ऐसी रियलिस्टिक फिल्म जिसमें एक्टर रोएगा तो असली मार खाएगा तो असली और बेटी को नहीं ढूंढ पाया तो उसके साथ जो बवाल होगा वह भी असली
अनुराग वर्सेस अनिल की लड़ाई मैं कौन किस पर भारी पड़ेगा? सोनम की सांसे जो फिलहाल भाग गई है आगे चलने लायक बचेगी या नहीं ? डायरेक्टर या फिर एक्टर इस नई टाइप की फिल्म को कौन सुपरहिट बनाएगा?अगर इस सवाल का जवाब चाहिए तो आपको नेटफ्लिक्स की AK VS AK जरूर देखनी पड़ेगी।
AK वस AK इंडियन सिनेमा में एक नई टाइप का एक्सपेरिमेंट है जिसमें फ़िल्म सिनेमा की कहानी कैमरा लेंस के जरिए नहीं बल्कि आप खुद अपनी आंखों से लाइव देख रहे हैं बॉलीवुड के वो डार्क सीक्रेट जिसके बारे में सिर्फ अखबारों में छपता है या फिर टीवी की ब्रेकिंग न्यूज़ में सुनने को मिलता है यह फिल्म आपको उसके बीच में ले जाकर खड़ा कर देगी।
सबसे कमाल की बात फिल्म देखते समय आप समझ ही नहीं पाओगे कि आप को रिएक्ट कैसे करना है फनी मोमेंट में में जोर से हंसना है या फिर सीरियस बात पर ट्विटर खोलकर इनकी लड़ाई की सच्चाई को जानना है फिल्म में कन्वर्सेशन एकदम असली लगे उसके लिए अनुराग, अनिल के पास से रियल इंसीडेंट्स का इस्तेमाल करके यह दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए एक दूसरे को पर्सनल डायलॉग मारते हैं और आप यकीन भी कर लेते हो।
असली मजा तो जब आता है जब फिल्म के थ्रिलर और रियल सस्पेंस के इमोशंस बाहर निकलते हैं फिल्म कॉमेडी के रास्ते से गुजर कर एक नो नॉनसेंस एक्शन कम रिवेंज की कहानी में कन्वर्ट हो जाती है पर इतना ज्यादा पर्सनल कनेक्शन आप इसलिए फील करते हो क्योंकि आप अनिल और अनुराग को काफी अच्छे से जानते हैं। क्योंकि यह दोनों फिल्म में कोई फ्रिक्शनल कैरेक्टर नहीं खुद अपने आप को प्ले कर रहे हैं।
रियलिटी और फिल्म का फर्क मिटाने के लिए अनिल साहब की फैमिली से बेटे हर्षवर्धन, भाई बोनी कपूर अनुराग की साइड से उनके फ्रेंड नवाज और ताप्सी पन्नू का कहानी में बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है लेकिन वह चीज जो AK VS AK को एकदम परफेक्ट बनाती है वह है इसके कांसेप्ट में एक भी लूप होल का ना होना।
चेहरे पर मेकअप ना लगाने से लेकर पूरी फिल्म बस एक ही ड्रेस में शूट करना और होटल में एंट्री करते वक्त कैमरे की सिक्योरिटी चेक करना यह छोटी-छोटी चीजें हैं जो फिल्म की सच्चाई पर सवाल उठा सकती हैं लेकिन डायरेक्टर साहब ने सबसे मुश्किल चैलेंज को फिल्म की स्ट्रेंथ में तब्दील कर दिया और जिस चालाकी के साथ फिल्म का क्लाइमैक्स एग्जीक्यूट किया गया है ऐसा लगता है ऑडियंस के साथ-साथ उनके एक्टर भी अपने ही खेल में फंस चुके हैं और पूरी फिल्म का मास्टरमाइंड कोई और ही है।
दिल से तारीफ निकलती है डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी के लिए जो अपनी हर फिल्म में कुछ नया ट्राई करने के लिए दौड़ लगाकर सबसे आगे आ जाते हैं मतलब वर्सेटिलिटी शब्द जो है डिक्शनरी में उसका मीनिंग सीधा-सीधा विक्रमादित्य मोटवानी है हां बस एक छोटी सी शिकायत है जब फिल्म का टाइटल AK VS AK है दोनों एक्टर को बराबर का फोकस मिलना चाहिए था जबकि ऐसा नहीं हुआ है लेकिन अनिल कपूर को फिल्म में 80% और हमारे कश्यप साहब को सिर्फ 20 परसेंट टैलेंट दिखाने का मौका दिया जाता है।
अनुराग की पर्सनल लाइफ को ज्यादा रिवील नहीं किया गया जिससे उनका सनकी कैरेक्टर इतना रियलिस्टिक नहीं लगता मतलब किसी के बोलने से कोई पागल नहीं बनता उसका पागलपन दिखाना भी तो पड़ेगा बात सिंपल है जैसे सोनी लिव पर स्कैम 1992 एक ऐसा शो जिससे एक्सपेक्टेशन काफी कम थी लेकिन जो वापस मिला उसने सबके होश उड़ा दिए ठीक वैसे ही आप नई टाइप का सिनेमा देखना पसंद करते हो दिमाग का पूरा इस्तेमाल करना पड़े तो AK VS AK आपके लिए नेटफ्लिक्स का हर्षद मेहता साबित होने वाली है मतलब रिस्क है तो इश्क है