ढोंगी बाबाओ के काले झूठों का पर्दाफाश करती प्रकाश झा की आश्रम वेब सीरीज देखने लायक है।
ढोंगी बाबाओ के काले झूठों का पर्दाफाश करती प्रकाश झा की आश्रम वेब सीरीज देखने लायक है।
धर्म का धंधा करने वाले कभी टोर्च की रोशनी भक्तों की आंखों में झांक कर उनकी पॉकेट मारा करते थे मगर अब वह हैलोजन लाइट से उन्हें जलाते हैं और 360 डिग्री एंगल में अपना बिजनेस फैलाते हैं सिर्फ समाज के पिछड़े गरीब दुखियारी ही इन धंदेबाज़ों से गंडा नहीं बनाते बल्कि बड़े रईस, व्यापारी उद्योगपति और राजनेता भी उनकी शरण में जाते हैं इन रसूखदारो के धर्म की छतरी के नीचे आने से यह धंधा अब बड़ा गोरखधंधा बन चुका है निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी पहली वेब सीरीज आश्रम वेब सीरीज में इसी गोरखधंधे को उजागर किया गया है।
आपको बता दें पहले ही यह वैधानिक सूचना देते हैं कि यह धर्म की असली तस्वीर नहीं है वह केवल उन लोगों के काले कारनामो की कहानी है जो सामने ला रहे हैं जो धर्म का मुखौटा पहने बेचारे भोले भाले गरीबों को बहला कर उन्हें बकरा बनाते हैं हम अपने पुराने अनुभवों से कह सकते हैं सहनशील सनातन समाज आश्रम की कथा उसी भाव से स्वीकार करेगा जैसे वह संसार को माया मानकर पूरी लगन से अपने जीवन का निर्वाह करता है जैसे सच्चे भक्त अंधे होते हैं वैसे ही सच्चे दर्शक रेनकोट पहनकर मनोरंजन के शावर में नहाते हैं।
इधर के समय में कहानियां और हकीकत एक दूसरे से मैच हो चुके हैं अब कहानी मैं हकीकत आती है और कब हकीकत किसी कहानी जैसा दिल बहलाने लगती है फर्क करना मुश्किल हो जाता है आश्रम में सच और एंटरटेनमेंट के सारे तत्व घुले मिले हैं एक है काशीपुर वाले बाबा एक रूप , महा स्वरूप बाबा निराला सिंह (बॉबी देओल) उन्हें तो गरीबों के बाबा, तारनहार, नसीब वालों के बाबा और ना जाने क्या क्या कहा जाता है प्रकाश झा एक बहुत ही सधे हुए फिल्मकार है और सामाजिक थ्रिलर उनका मैदान है। जिसके वह ढोंगी बाबाओ की कारगुजारियों को उजागर कर रहे है। इसलिए उन्होंने इस वेब सीरीज में बाबा की एंट्री के लिए पहले मजबूत जमीन तैयार करने का काम किया फिर असली कहानी की तरफ बढ़े उन्होंने पहले जातियों की ऊंची नीची नफरत सहानुभूति का खेल दिखाया जिसमें बाबा आसानी से पैर जमा लेता है फिर चलती है बाबा के अतीत की फिल्म बिजनेस के साथ राजनीति की गलबहियां, जंगल जमीन की लूट पुलिस का भ्रष्टाचार और मजबूरियां. मोक्ष दिलाने के नाम पर छल नारी उद्धार के नाम पर शोषण अस्पतालों में शिक्षा की आड़ में भक्त भेड़े पालने का धंधा प्रकाश झा ने आश्रम की दिव्यता के पतन का सच सामने लाते लाते लगभग सभी चीजें साफ कर ड़ि है।
यह बाबा अपने लाखों भक्तों को राजनीतिक दलों के वोट बैंक में बदल देता है तो कभी प्रताड़ित नारी उद्धार का झंडा बुलंद करने के लिए सैकड़ों सेक्स वर्कर को पुलिस से पकड़ा कर अपने दीन हीन सेवादारों से उनका ब्याह करा देता है। अपने आस पास भी शायद आप इन घटनाओं से रूबरू हुए हो आपको बता दें आश्रम में युवाओं को आकर्षित करने के लिए वह यूथ आइकन नशेड़ी पॉप गायक को भी उठवा लेता है तो किसी सेवादार की बीवी पसंद आने पर सेवादार को आत्मिक शुद्धिकरण के नाम पर नपुंसक बना देता है अपने खिलाफ जांच करने वाले उच्च पुलिस अधिकारी को वह विषकन्या के जाल में फंसाता है तो कभी अपना राज हमेशा बना रहे। फिर चाहे इसके लिए किसी की भी हत्या करके दफन ही क्यों न करना पड़े बाबा पीछे नहीं रहता। यह सारी बातें आश्रम की कहानी में आते हुए सच का ही अभ्यास देती है बीते कुछ वर्षों में दर्जनों ढोंगी पाखंडी लुटेरे बलात्कारी और हत्यारे बाबाओं का पर्दाफाश हुआ और वह जेलों में भी गए आश्रम की कई घटनाएं साफ बताती हैं कि आश्रम वेब सीरीज के लेखकों की टीम ने इन्हीं बाबाओ की करतूतों से प्रेरणा ली है। और काले सच को उजागर किया है
आश्रम में बॉबी देओल अपनी भूमिका में एकदम फिट है। और इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि यह किरदार उनकी लीड रोल में वापसी कर मुहर लगाता है लेकिन उन्हें मुख्य सेवादार भूपा जी बने चंदन रॉय सान्याल का अच्छा साथ मिला है काले कारनामे करती यह जोड़ी जब सामने आती है तो नया गुल खिलाती है पुलिस अधिकारी के रूप में दर्शन कुमार प्रभाव छोड़ते हैं। ज्ञात रहे प्रकाश झा ने उजागर सिंह (दर्शन कुमार) के बहाने पुलिस महकमे में काबिल और कोटे से आए प्रमोशन पाने वाले पुलिस अधिकारियों के बीच तनाव को आश्रम की कहानी के समानांतर खूबसूरती से उभारा है यह अलग बात है कि उजागर का पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टर नताशा (अनुप्रिया गोयंका) से प्रेम का ट्रैक फिल्मी आभास देता है आश्रम की कहानी भले ही पहलवान पम्मी (अदिति पोहनकर) से शुरू होती है मगर सीजन मन में उसके बाबा निराला की भक्त बनने के साथ इस किरदार में ठहराव आ जाता है। फ़िल्म जागरूकता फैलाने के लिहाज से अच्छी बनाई गई है।